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Dekho Tum Rooth Ke Jaaya Na Karo (Nazm) - Iqbal Ashhar

(बेरोज़गार नौजवानों के नाम)
देखो तुम रूठ के जाया न करो
और जाते हुए दरवाज़े को पटका न करो ग़ुस्से से
अभी नादान हो तुम मैं तुम्हें कैसे समझाऊं
बाप बन जाओगे जिस दिन 
तुम्हें होगा मालूम
जब कभी तेज़ हवा चलती है
दिल लरज़ जाता है पत्ते की तरह
और एहसास की लर्ज़ीदा सी पटरी पर से 
दनदनाती हुई इक रेल गुज़र जाती है
मैंने पहले भी कहा है तुमसे
जो भी कुछ घर में है हम बाँट के खा सकते हैं
अच्छे दिन लौट के आ सकते हैं
देखो तुम रूठ के जाया न करो

( بے روزگار نوجوانوں کے نام )

دیکھو تم روٹھ کے جایا نہ کرو
اور جاتے ہوئے
دروازے کو پٹکا نہ کرو غصّے سے
ابھی نادان ہو تم میں تمہیں کیسے سمجھاؤں
باپ بن جاؤگے جس دن تمہیں ہوگا معلوم  
جب کبھی تیز ہوا چلتی ہے
دل لرز جاتا ہے پتّے کی طرح
اور احساس کی لرزیدہ سی پٹری پر سے
دندناتی ہوئی اک ریل گزر جاتی ہے
میں نے پہلے بھی کہا ہے تم سے
جو بھی کچھ گھر میں ہے
ہم بانٹ کے کھا سکتے ہیں 
اچھّے دن لوٹ کے آ سکتے ہیں 
دیکھو تم روٹھ کے جایا نہ کرو


Poet - Iqbal Ashhar
Posted on - 04.05.2021 at 09:40 p.m
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Concept - Unemployment

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